एक समय की बात है, एक गाँव में एक सच्चे भक्त रहते थे। उनका नाम सदन था। सदन बहुत गरीब था, लेकिन वह विष्णु भगवान का बहुत बड़ा भक्त था। वह हर दिन विष्णु भगवान की पूजा करता था और उनसे प्रार्थना करता था कि वह उसे धन और संपत्ति प्रदान करें।
एक दिन, सदन एक जंगल में घूम रहा था। तभी उसे एक विशाल सांप दिखाई दिया। सांप बहुत ही भयंकर लग रहा था। सदन डर गया और भागने लगा। लेकिन सांप ने उसका पीछा किया।
सांप ने सदन को पकड़ा और उसे अपने मुंह में ले लिया। सदन बहुत डर गया। उसने विष्णु भगवान से प्रार्थना की कि वह उसे बचाए।
विष्णु भगवान सदन की प्रार्थना सुनकर प्रसन्न हुए। उन्होंने अपने चक्र से सांप का वध कर दिया। सदन बच गया और वह बहुत खुश हुआ।
विष्णु भगवान ने सदन को दर्शन दिए और कहा, “तुमने मेरी भक्ति से मुझे प्रसन्न किया है। मैं तुम्हें तुम्हारी इच्छानुसार धन और संपत्ति प्रदान करूंगा।”
विष्णु भगवान के वरदान से सदन बहुत धनवान हो गया। वह एक बड़े नगर में रहने लगा। वह बहुत सुखी और समृद्ध था।
एक दिन, सदन विष्णु भगवान के मंदिर में गया। उसने मंदिर के पुजारी से कहा, “मैंने विष्णु भगवान की भक्ति से धन और संपत्ति प्राप्त की है। मैं उनका बहुत आभारी हूं।”
पुजारी ने कहा, “विष्णु भगवान सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। जो भी उनकी भक्ति करता है, उसे अवश्य ही लाभ होता है।”
सदन ने पुजारी की बात सुनकर बहुत खुशी महसूस की। उसने विष्णु भगवान की और भी अधिक भक्ति करने का संकल्प लिया।
शिक्षा:
विष्णु भगवान सभी भक्तों के लिए दयालु और कृपालु हैं। जो भी उनकी भक्ति करता है, उसे अवश्य ही लाभ होता है।
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