एक सुंदर सा गाँव था जहाँ पक्षियों की चहचहाहट और फूलों की महक से पूरा माहौल खुशनुमा हो जाता था। इस गाँव में एक छोटा सा कबूतर रहता था जिसका नाम टिम था। टिम बहुत ही शरारती था और अक्सर अपने दोस्तों के साथ गाँव में ऊधम मचाता रहता था।
एक दिन सभी पक्षी गाँव के चौक पर इकट्ठा हुए थे ताकि हर साल होने वाले मेले की तैयारियों के बारे में बात कर सकें। टिम भी अपने दोस्तों के साथ वहां गया लेकिन उसे वहां बैठे-बैठे ऊब आने लगी। उसे तो बस किसी तरह से उड़ना और आसमान में खेलना था।
उसे देखते हुए एक बुद्धिमान बुलबुल ने उसे समझाया, “टिम, तुम इस समय यहां नहीं चाहिए, मेले की तैयारियों में सभी व्यस्त हैं। जाओ और कहीं और खेलो।”
लेकिन टिम बुलबुल की बात नहीं सुनी और अपनी शरारतों से मेले की तैयारियों में बाधा डालने लगा। वह मेले में लगने वाले झूलों को नुकसान पहुंचाने लगा, सामानों को बिखेरने लगा और लोगों को परेशान करने लगा।
सब लोग टिम की शरारतो से बहुत परेशान हो गए। उन्हें मेले की तैयारियों में काफी दिक्कत हो रही थी। सभी ने मिलकर टिम को वहां से भगा दिया।
टिम को अपने किए पर पछतावा हुआ। वह समझ गया था कि उसकी शरारतों से लोगों को परेशानी हुई है। वह घर वापस आया और बुलबुल से माफी मांगी।
बुलबुल ने टिम को समझाया, “टिम, जब हम किसी के साथ रहते हैं तो हमें उनका सम्मान करना चाहिए और उनकी भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए। हम अपनी शरारतों से दूसरों को परेशान नहीं कर सकते।”
टिम ने बुलबुल की बात मान ली और उस दिन के बाद से वह कभी भी किसी को परेशान नहीं किया। वह सभी के साथ अच्छे से रहने लगा और गाँव के सभी लोगों का प्यार पा गया।
थोड़े ही दिनों में गाँव का मेला शुरू हो गया और सभी पक्षी बहुत खुश थे। वे मेले में घूमने, झूलों में झूलने और खाने-पीने का मजा लेने के लिए बेताब थे।
टिम ने भी अपने शरारती स्वभाव को छोड़ दिया और मेले में सभी के साथ शामिल हो गया। वह झूलों में झूलता, सामानों की खरीदारी करता और मेले की सभी चीजों का आनंद लेता।
टिम की इस बदली हुई स्वभाव से सभी पक्षी बहुत खुश हुए। वे उसे बधाई देते थे और कहते थे कि वह अब एक जिम्मेदार पक्षी बन गया है।
टिम ने अपने अतीत की शरारतों पर पछतावा किया और उस दिन से उसने हमेशा दूसरों का सम्मान किया और उनकी भावनाओं का ध्यान रखा। वह एक खुशहाल और जिम्मेदार पक्षी के रूप में अपने जीवन जीने लगा।
नैतिक शिक्षा:
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि एक व्यक्ति अपने अतीत के कार्यों से बदल सकता है और जिम्मेदार नागरिक बन सकता है। हमें दूसरों के साथ दयालु और मददगार होना चाहिए और उनके जीवन को आसान बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
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