एक थी छोटी सी चिड़िया, जिसका नाम था मिन्नी. वो एक आम के पेड़ पर अपना घोंसला बनाकर रहती थी.
मिन्नी बहुत मेहनती थी. हर रोज़ वो सुबह जल्दी उठती और बगीचे में जाकर फल और कीड़े ढूंढती. वो अपने छोटे-छोटे बच्चों के लिए खाना इकट्ठा करती, ताकि वो बड़े और मजबूत बन सकें.
एक दिन, मिन्नी भोजन की तलाश में बगीचे के दूसरे कोने में गई. वहां उसने कुछ लाल-लाल चमकते बेर देखे. वो बहुत स्वादिष्ट लग रहे थे. मिन्नी को लगा कि उसके बच्चों को ये ज़रूर पसंद आएंगे.
मिन्नी बेर खाने के लिए उड़ी ही थी कि तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी. “ये मत खाओ, मिन्नी!”
मिन्नी चौंककर पीछे मुड़ी. वहां एक बूढ़ा कछुआ बैठा था. उसने पूछा, “क्यों नहीं, चाचा टिल्लू? ये बेर तो बहुत अच्छे लग रहे हैं.”
चाचा टिल्लू ने कहा, “ये बेर ज़हरीले होते हैं, मिन्नी. इन्हें खाने से तुम्हारे बच्चों को नुकसान हो सकता है.”
मिन्नी को बहुत अफ़सोस हुआ. उसने चाचा टिल्लू को धन्यवाद दिया और वापस अपने घोंसले की तरफ उड़ गई.
रास्ते में, मिन्नी को कुछ और पक्षी मिले. वो भी उन्हीं ज़हरीले बेरों को खाने वाले थे. मिन्नी ने उन्हें रोक दिया और चाचा टिल्लू की बात बताई. पक्षियों ने मिन्नी का शुक्रिया अदा किया और ज़हरीले बेरों को खाने से बच गए.
उस दिन से, मिन्नी बगीचे में सभी पक्षियों को ज़हरीले बेरों के बारे में बताने लगी. वो चाहती थी कि सभी पक्षी सुरक्षित रहें.
इस तरह, मिन्नी अपनी मेहनत और बुद्धि से न सिर्फ़ अपने बच्चों की, बल्कि पूरे बगीचे के पक्षियों की रक्षा करने में सफल रही. वो सब मिन्नी को एक brave and kind पक्षी मानने लगे.
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