एक बार की बात है, एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसका नाम था भोला। भोला बहुत ही भोला और सीधा-साधा था। वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। वह हर दिन सुबह-शाम शिव मंदिर जाता था और शिव जी की पूजा करता था। वह शिव जी की आराधना में इतना लीन रहता था कि उसे दुनिया की कोई चिंता नहीं रहती थी।
एक दिन, भोला अपने खेतों में काम कर रहा था। तभी अचानक एक तूफान आया। तूफान में बिजली गिरी और भोला को गंभीर चोट लगी। भोला को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे बचाने में असमर्थता जताई।
भोला को पता था कि वह मरने वाला है। वह अपने अंतिम क्षणों में शिव जी की पूजा करने के लिए बहुत उत्सुक था। वह अस्पताल से भागकर शिव मंदिर गया और शिव जी की मूर्ति के सामने बैठ गया। वह शिव जी से प्रार्थना करने लगा, “हे भोलेनाथ, मैं आपका बहुत बड़ा भक्त हूँ। मैंने आपके लिए अपना पूरा जीवन बिता दिया है। कृपया मुझे बचा लीजिए।”
भोला की प्रार्थना सुनकर शिव जी प्रकट हुए। उन्होंने भोला से कहा, “तुम मेरे सच्चे भक्त हो। तुम्हारी भक्ति से मैं बहुत प्रसन्न हूँ। मैं तुम्हें जीवनदान देता हूँ।”
शिव जी की कृपा से भोला को नया जीवन मिला। वह बहुत खुश हुआ। वह शिव जी का धन्यवाद करने लगा। भोला ने अपने जीवन में कभी भी शिव जी की भक्ति नहीं छोड़ी। वह हमेशा शिव जी की पूजा करता रहा और शिव जी की आराधना में लीन रहता रहा।
शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भगवान शिव का सच्चे मन से भजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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