एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में, जंगल के किनारे पर, लिली नाम की एक प्यारी सी लड़की रहती थी। लिली हर दिन स्कूल के बाद जंगल के रास्ते से घर जाया करती थी। एक शाम, उसे रास्ते में एक चमचमाता सुनहरा फल दिखाई दिया। लिली उसे उठाने के लिए झुकी, लेकिन अचानक एक कर्कश आवाज बोली, “उसे मत छू! वह जादुई फल है, और जो कोई भी उसे खाएगा, उसे जंगल का राक्षस निगल जाएगा!”
लिली डर गई, लेकिन सुनहरे फल का लालच उसे खींच रहा था। उसने सोचा, “शायद यह सिर्फ एक मजाक है। वैसे भी, कोई राक्षस नहीं होता!” उसने फल खा लिया, और तभी जमीन कांपने लगी। पेड़ झुक गए, और एक जोरदार गरज के साथ, एक विशाल, रौबदार राक्षस जंगल से निकल आया। उसकी आंखें लाल आग की तरह जल रही थीं, और उसके पंजे तेज छुरियों जैसे नुकीले थे।
राक्षस ने लिली की ओर गर्जना की, “तुमने मेरा जादुई फल खा लिया है! अब मैं तुम्हें निगल लूंगा!” लिली डर से कांप गई, लेकिन वह भागने के लिए नहीं रुकी। उसे याद आया कि उसकी दादी ने उसे बताया था कि राक्षस बेवकूफ होते हैं और उन्हें आसानी से गुमराह किया जा सकता है।
लिली ने हंसते हुए कहा, “ओह, राक्षस, तुम कितने मूर्ख हो! तुम नहीं जानते, तुम्हारे पेट में पहले से ही एक और बच्चा है! उसने मेरे जादुई फल को खा लिया, और इसलिए अब वह तुम्हारे पेट में फँस गया है। अगर तुम मुझे नहीं खाओगे, तो वह बच्चा तुम्हें अंदर से ही खा जाएगा!”
राक्षस ने अपना विशाल सिर खुजलाया और चिंता से कहा, “एक और बच्चा? मेरे पेट में? नहीं, ऐसा नहीं हो सकता! लेकिन अगर यह सच है, तो मुझे उस बच्चे से कैसे छुटकारा पाना चाहिए?”
लिली ने झूठ बोलते हुए कहा, “तुम जंगल के सबसे बुद्धिमान जानवर, उल्लू से पूछो! वह तुम्हें रास्ता बताएगा।” राक्षस डरा हुआ था और लिली को बिना खाए ही जंगल की गहराई में चला गया। लिली जल्दी से भागकर अपने घर पहुंची और दरवाजा बंद कर लिया।
रात भर जंगल में राक्षस उल्लू को ढूंढता रहा, लेकिन उल्लू ने उसे बेवकूफ बनाया और गलत रास्ते पर भेज दिया। अगले दिन सुबह, लिली गांव के सभी बच्चों को इकट्ठा करके जंगल के किनारे ले गई। उन्होंने जोर से हंसा और जंगल की ओर नारे लगाए। राक्षस, शोर सुनकर वापस आया, लेकिन जब उसने बच्चों को देखा तो वह और भी घबरा गया। वह सोचा कि जंगल का हर बच्चा उसके पेट में मौजूद बच्चे की तरह खतरनाक है।
राक्षस दहाड़ते हुए भागा और कभी जंगल के किनारे नहीं आया। लिली ने सीखा कि डर को हराने के लिए कभी-कभी थोड़ा सा चालाकी करना ही पड़ता है। उसने यह भी सीखा कि जंगल का सबसे बड़ा राक्षस भी मूर्ख होता है, और कभी-कभी खुद के डर से ही ज्यादा डरता है।
तो अगली बार जब आप किसी डरावनी चीज का सामना करें, तो याद रखें, थोड़ा सा साहस और चालाकी आपको किसी भी चुनौती का सामना करने में मदद कर सकती है। और सबसे महत्वपूर्ण बात, अपने डर को कभी अपने ऊपर हावी मत होने दें।
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