एक बार एक गाँव में एक बहुत ही कंजूस आदमी रहता था। वह इतने कंजूस था कि वह कभी भी किसी को कुछ भी नहीं देता था, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो। एक दिन, उसने देखा कि एक गरीब आदमी कड़ी धूप में काम कर रहा था, और उसके पास पानी नहीं था। कंजूस आदमी ने सोचा, “मैं इस गरीब आदमी को पानी नहीं दूँगा, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि वह मुझ पर निर्भर हो जाए।”
लेकिन फिर, वह सोचने लगा, “लेकिन मैं एक अच्छा इंसान होना चाहता हूँ। मैं क्या कर सकता हूँ?” वह कुछ देर सोचता रहा, और फिर उसे एक विचार आया। उसने एक छोटी सी बोतल में पानी भरा और गरीब आदमी के पास गया।
गरीब आदमी ने कंजूस आदमी को देखकर हैरानी से कहा, “आप मुझे पानी देने जा रहे हैं? आपने कभी भी किसी को कुछ भी नहीं दिया है!”
कंजूस आदमी ने मुस्कुराकर कहा, “यह केवल एक छोटी सी बोतल है, और यह आपके लिए नहीं है। यह मेरे लिए है। मैं इस पानी को देखकर इसका स्वाद याद करूँगा, और मुझे याद दिलाएगा कि मैंने एक अच्छा काम किया है।”
गरीब आदमी ने कंजूस आदमी का शुक्रिया अदा किया और पानी को पी लिया। उसने पानी की ताजगी से आनंद लिया और कंजूस आदमी के अच्छे काम की सराहना की।
कंजूस आदमी अब भी कंजूस था, लेकिन उस दिन से उसे महसूस हुआ कि दूसरों की मदद करना वाकई अच्छा है। यह महसूस करने में अच्छा लगता है कि आप एक अच्छा काम कर रहे हैं।
कहानी से यह सीख मिलती है कि दूसरों की मदद करना अच्छा है, भले ही वह छोटा सा काम ही क्यों न हो।
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