दशा माता की कहानी एक पौराणिक कथा है जो राजा नल और रानी दमयंती की कहानी से जुड़ी हुई है। इस कथा के अनुसार, राजा नल और रानी दमयंती एक अत्यंत सुखी और समृद्ध जीवन व्यतीत कर रहे थे। उनके पास धन, ऐश्वर्य और सुख-सुविधा की कोई कमी नहीं थी। लेकिन एक दिन, एक दुष्ट दैत्य ने राजा नल को श्राप दिया कि वह एक भिखारी बन जाएगा और उसकी पत्नी रानी दमयंती का अपहरण कर लेगा।
दैत्य के श्राप के कारण, राजा नल को अपने राज्य से भगा दिया गया और वह एक भिखारी बन गया। रानी दमयंती को एक राक्षस ने अपहरण कर लिया और उसे अपने किले में बंद कर दिया।
राजा नल और रानी दमयंती को अपने दुखों से मुक्त कराने के लिए, उनकी एक दासी ने उन्हें दशा माता की पूजा करने की सलाह दी। दशा माता सौभाग्य और समृद्धि की देवी हैं।
राजा नल और रानी दमयंती ने दशा माता की पूजा की और उनकी कथा सुनी। दशा माता ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अपना आशीर्वाद दिया।
दशा माता के आशीर्वाद से, राजा नल को अपना राज्य वापस मिल गया और रानी दमयंती को राक्षस के चंगुल से मुक्त कर लिया गया। राजा नल और रानी दमयंती फिर से एक साथ सुखी जीवन व्यतीत करने लगे।
दशा माता की कथा से यह शिक्षा मिलती है कि भक्ति और सच्चाई के बल पर हर कठिनाई को दूर किया जा सकता है।
दशा माता की पूजा का महत्व
दशा माता की पूजा सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है। इस पूजा को करने से दशा माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
दशा माता की पूजा होली के दसवें दिन की जाती है। इस दिन, भक्त दशा माता की प्रतिमा की पूजा करते हैं और उन्हें भोग अर्पित करते हैं। दशा माता की कथा सुनना भी इस पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है।
दशा माता की पूजा करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
- सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- रोगों से मुक्ति मिलती है।
- शत्रुओं का नाश होता है।
दशा माता की पूजा करने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- दशा माता की प्रतिमा या तस्वीर
- फूल
- धूप
- दीप
- नैवेद्य
- मिठाई
- गुड़
- चावल
दशा माता की पूजा विधि
दशा माता की पूजा निम्नलिखित विधि से की जाती है:
- सबसे पहले, पूजा स्थल को साफ करें और दशा माता की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
- फिर, दशा माता को फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, मिठाई और गुड़-चावल अर्पित करें।
- दशा माता की कथा सुनें।
- अंत में, दशा माता से अपने मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
दशा माता की पूजा का समय
दशा माता की पूजा को होली के दसवें दिन की शाम को किया जाता है। इस दिन, भक्त दशा माता की प्रतिमा की पूजा करते हैं और उन्हें भोग अर्पित करते हैं। दशा माता की कथा सुनना भी इस पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है।
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