एक जंगल में एक छोटी सी गिलहरी रहती थी, जिसका नाम छुन्नु था। छुन्नु बहुत ही चंचल और जिज्ञासु था। उसे हमेशा नई चीजें सीखने और नई जगहों को खोजने का शौक था।
एक दिन, छुन्नु जंगल में घूम रहा था, तभी उसे पेड़ पर कुछ चमचमाती चीज दिखाई दी। वो करीब गया और देखा कि वो खूबसूरत सुनहरे रंग के फल थे। उसने पहले कभी ऐसे फल नहीं देखे थे। उसकी जिज्ञासा और बढ़ गई।
वो पेड़ पर चढ़ कर एक फल तोड़ लिया और उसे खा लिया। फल बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट था। छुन्नु को बहुत अच्छा लगा। वो अपने सभी दोस्तों को यह स्वादिष्ट फल खिलाना चाहता था।
वो जल्दी से जल्दी फल इकट्ठा करने लगा। वह इतना व्यस्त था कि उसने ध्यान नहीं दिया कि एक विशालकाय सांप पास ही बैठा उसे देख रहा था। सांप को भी उन सुनहरे फलों का लालच हो गया।
जब छुन्नु काफी सारे फल इकट्ठा कर चुका, तो वो खुशी-खुशी अपने दोस्तों के पास ले जाने लगा। मगर तभी उसका सामना सांप से हो गया। सांप ने उसकी सारी मेहनत देख ली थी और अब वो सारे फल खुद रखना चाहता था।
छुन्नु बहुत डर गया। वो सांप से छोटा और कमजोर था। लेकिन, वो हार नहीं मानने वाला था। उसने अपनी चालाकी से काम लिया। वो जोर से बोला, “अरे! तुम क्या देख रहे हो? ये सुनहरे फल जादुई हैं! इन्हें खाने से तुम पंख उगाकर उड़ सकते हो!”
सांप बहुत लालची था। उसने सोचा कि पंख उगाकर वो आसानी से शिकार कर सकेगा। वो छुन्नु की बातों में आ गया और सारे फल खा लिए।
लेकिन कुछ नहीं हुआ! सांप को कोई पंख नहीं मिले। उसे समझ आ गया कि छुन्नु ने उसे बेवकूफ बनाया है। वो गुस्से से छुन्नु पर फुफकारने लगा।
छुन्नु जल्दी से एक पेड़ पर चढ़ गया। सांप उसका पीछा नहीं कर सका क्योंकि उसके पास पंख नहीं थे। अब सांप को समझ आया कि लालच बुरी चीज है।
छुन्नु अपने दोस्तों के पास गया और उनके साथ स्वादिष्ट फल खाया। उसने सीखा कि चालाकी से काम लिया जा सकता है, लेकिन कभी लालची नहीं बनना चाहिए।
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