एक बार की बात है, चिंटू नाम का एक छोटा लड़का था। वह बहुत ही शरारती और जिद्दी था। उसे खिलौनों से बहुत प्यार था। उसके पास हर तरह के खिलौने थे, लेकिन उसे उनसे जल्दी ही ऊब हो जाती थी।
एक दिन, चिंटू को उसकी दादी ने जन्मदिन पर एक खास तोता का खिलौना उपहार में दिया। यह तोता बहुत ही खूबसूरत था और उसकी आवाज असली तोते जैसी लगती थी। चिंटू तो खुशी से झूम उठा। वह पूरे दिन उसी तोते से खेलता रहा। रात को सोते समय भी वह उसे अपने पास ही रखना चाहता था।
लेकिन, सुबह उठने पर चिंटू को अपना तोता कहीं नहीं मिला। वह पूरे घर में उसे ढूंढने लगा, मगर वह नहीं मिला। चिंटू गुस्से और दुख से रोने लगा। उसने अपनी माँ को बताया कि उसका तोता खो गया है।
चिंटू की माँ ने उसे शांत किया और कहा, “चिंटू, रोने से कुछ नहीं होगा। शायद तू कहीं रख कर भूल गया होगा। चल, हम सब मिलकर ढूंढते हैं।”
चिंटू की माँ, पिताजी और दादी सब मिलकर चिंटू के साथ तोते को ढूंढने लगे। उन्होंने पूरे घर को खंगाला, परन्तु तोता कहीं नहीं मिला। चिंटू और ज्यादा रोने लगा।
अचानक, चिंटू की दादी को याद आया कि कल वह चिंटू को पार्क में ले गई थीं। हो सकता है, वहीं तोता खो गया हो। वे सब जल्दी से पार्क पहुंचे। वहां चिंटू ने रोते हुए बताया कि उसने तोते को यहीं खोया था।
उसी समय, एक छोटी बच्ची चिंटू के पास आई। उसके हाथ में वही तोता था। वह बच्ची चिंटू को देखकर मुस्कुराई और बोली, “यह तोता तुम्हारा है ना? मुझे कल पार्क में यह मिला था।”
चिंटू तो खुशी से उछल पड़ा। उसने उस बच्ची को धन्यवाद दिया और अपना तोता वापस ले लिया। अब वह बहुत खुश था।
इस घटना से चिंटू को एक सीख मिली। उसने जाना कि चीजों को संभाल कर रखना बहुत जरूरी है। साथ ही, उसने यह भी सीखा कि दूसरों की मदद से खोई हुई चीजें भी मिल सकती हैं।
सीख:
- चीजों को संभाल कर रखना चाहिए।
- दूसरों की मदद लेनी चाहिए।
- खोई हुई चीजें मिल भी सकती हैं।
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