चिंटू की बुद्धि और दया Hindi Kahani – Moral Story For Kids
एक बार की बात है, एक जंगल में चिंटू नाम का एक नन्हा गिलहरी रहता था। चिंटू बहुत ही मेहनती था। वह सुबह-सुबह उठता, फल इकट्ठा करता और अपने पेड़ के खोखल में रखता था। लेकिन चिंटू का एक डर था – बूढ़ा शेर, जो कभी-कभार जंगल में धावा मारता था।
एक दिन चिंटू फल इकट्ठा कर रहा था, तभी उसकी दोस्त रानी खरगोश दौड़ती हुई आई। “चिंटू! बूढ़ा शेर आ रहा है!” चिंटू घबरा गया। “मैं क्या करूँ?” रानी ने कहा, “जल्दी से मेरे बिल में छिप जाओ!” लेकिन चिंटू ने मना कर दिया। “नहीं, मुझे मेरे फल जमा करने हैं। अगर शेर जंगल में धावा मारेगा, तो हम सबको बुरा होगा।”
चिंटू ने जल्दी से सभी फलों को जंगल के बीचों-बीच एक बड़े गड्ढे में फेंक दिया। गड्ढे के चारों ओर बड़े-बड़े पत्थर रखे थे। फिर वह पेड़ पर चढ़ गया और छिप गया। थोड़ी देर में, बूढ़ा शेर दहाड़ता हुआ वहाँ आया। जब उसने फलों को देखा, तो आग बबूला हो गया। “किसने मेरे खाने को खराब किया?” चिंटू को छिपा हुआ देखकर गुस्से में गरजते हुए उसने कहा, “तुमने ही किया ना, नन्ही गिलहरी?”
चिंटू डर गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। वह बोला, “महाशय, ये फल खराब नहीं हुए हैं। मैंने इन्हें सभी जानवरों के लिए रखा है, ताकि जब जंगल में भोजन कम हो जाए, तो सबको खाने को मिले।”
शेर थोड़ा शांत हुआ, फिर बोल उठा, “सच? लेकिन मैंने कभी ऐसा सुना नहीं।” चिंटू ने कहा, “महाशय, जंगल में रहने का यही मतलब है – एक-दूसरे की मदद करना, ताकि सब खुश रह सकें।”
शेर चिंटू की बुद्धि और दया देखकर दंग रह गया। उसने गुर्राते हुए कहा, “ठीक है। तुमने अच्छा काम किया है। मैं जा रहा हूँ।” बूढ़ा शेर वहाँ से चला गया।
उस दिन से जंगल में कभी भोजन की कमी नहीं हुई। जानवर मिलकर रहते थे और एक-दूसरे की मदद करते थे। और सब कुछ चिंटू की वजह से हुआ, जिसने अपने डर पर काबू पाकर, सभी के लिए भलाई का रास्ता चुना।
इस कहानी से सीख: – डर को अपने ऊपर हावी न होने दें। – दूसरों की भलाई के लिए सोचें और करें। – एकता में ही शक्ति है।
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