रानी एक छोटे से गाँव में रहती थी। वह एक दयालु और मेहनती लड़की थी, जो अक्सर अपने खेतों में काम करती थी। रानी को फूलों से बहुत प्यार था। हर सुबह, वह अपने खेत के कोने में बने छोटे से बगीचे में जाकर फूलों की देखभाल करती थी।
एक दिन, रानी उदास होकर बगीचे में बैठी थी। उसे लग रहा था कि उसकी ज़िंदगी बहुत ही साधारण है। वह बड़े शहरों के बारे में सोच रही थी, जहाँ ऊंची इमारतें और चमचमाती रोशनी होती है। तभी, एक बूढ़ी महिला रानी के पास आई। महिला ने रानी की उदासी को समझ लिया और उससे पूछा, “बेटी, क्या हुआ?”
रानी ने महिला को बताया कि वह अपनी ज़िंदगी से खुश नहीं है। वह बड़े शहर जाकर कुछ नया करना चाहती है। महिला ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटी, ज़िंदगी की खुशी जगह में नहीं, बल्कि तुम्हारे नज़रिए में है।”
महिला ने रानी को समझाया कि वह अपने आसपास की खूबसूरती को देखना सीखे। उसने कहा, “तुम्हारे पास ये खूबसूरत फूल हैं, जिनकी देखभाल तुम करती हो। क्या तुमने कभी गौर किया है कि बारिश के बाद आसमान में इंद्रधनुष कैसे बनता है?”
रानी ने सिर हिला दिया। महिला ने कहा, “इसी तरह, ज़िंदगी में भी छोटी-छोटी खुशियाँ होती हैं, जिन्हें हमें ढूंढना होता है।”
उस दिन से, रानी ने अपने आसपास की चीजों को गौर से देखना शुरू किया। उसने देखा कि सूर्योदय का नज़ारा कितना मनमोहक होता है, पक्षियों का चहचहाना कितना सुहाना होता है, और फूलों की खुशबू कितनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली होती है। धीरे-धीरे, रानी को अपनी ज़िंदगी में खुशियाँ मिलने लगीं।
एक दिन, जब खेतों में ज़ोरों की बारिश हो रही थी, रानी ने देखा कि बादल हटने के बाद आसमान में एक खूबसूरत इंद्रधनुष बन गया था। इंद्रधनुष के रंग इतने चमकीले और जीवंत थे कि रानी मंत्रमुग्ध होकर उसे देखती रही।
उस पल, रानी को एहसास हुआ कि बड़े शहर जाने की ज़रूरत नहीं है। खुशियाँ तो हर जगह हैं, बस उन्हें देखने का नज़रिया चाहिए। रानी ने खुशी से अपने दिल में कहा, “मेरे सपने शायद इंद्रधनुषी न हों, लेकिन वो मेरी ज़िंदगी को उतना ही रंगीन बना देंगे।”
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