अकबर और बीरबल : चतुर मंत्री का चतुर जवाब
एक बार, बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे थे। तभी, वहां एक व्यक्ति आया और उसने कहा, “महाराज, मैं आपके राज्य का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति हूं।”
यह सुनकर, बीरबल मुस्कुराए और बोले, “महाराज, क्या आप इस व्यक्ति की बात का परीक्षण कर सकते हैं?”
अकबर ने हामी भरी और बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुम क्या परीक्षण करना चाहते हो?”
बीरबल ने कहा, “महाराज, इस व्यक्ति को एक खाली थैला और एक पत्थर दें। उसे शहर में घूमने के लिए कहें और उसे हर उस व्यक्ति से पूछना होगा कि थैले में क्या है। जो भी व्यक्ति थैले में क्या है, इसका सही जवाब देगा, वह व्यक्ति वास्तव में बुद्धिमान है।”
स्पष्टीकरण:
बीरबल जानते थे कि व्यक्ति थैले में क्या है, इसका सही जवाब नहीं दे पाएगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि थैला खाली है, और कोई भी व्यक्ति यह नहीं जान सकता कि खाली थैले में क्या है।
यह परीक्षण व्यक्ति की बुद्धि का परीक्षण नहीं था, बल्कि यह उसकी विनम्रता और ईमानदारी का परीक्षण था।
जो व्यक्ति थैले में क्या है, इसका सही जवाब नहीं दे पाएगा, वह व्यक्ति विनम्र और ईमानदार होगा।
नैतिकता:
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा विनम्र और ईमानदार रहना चाहिए। हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए और अपनी बुद्धि का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
Read More:-