शीर्षक: खोया हुआ खरगोश
एक बार, एक छोटा खरगोश था जिसका नाम रॉबी था। रॉबी एक बहुत ही जिज्ञासु खरगोश था और उसे अपने आस-पास की चीजों को तलाशना बहुत पसंद था। एक दिन, रॉबी अपने घर से दूर जंगल में घूम रहा था। वह इतना व्यस्त था कि उसे पता ही नहीं चला कि वह रास्ता भटक गया है।
रॉबी घबरा गया। उसे नहीं पता था कि घर वापस कैसे जाना है। उसने मदद के लिए रोना शुरू कर दिया। तभी, एक बड़ा भालू रॉबी के पास आया। भालू ने रॉबी से पूछा कि उसे क्या हुआ है। रॉबी ने भालू को बताया कि वह खो गया है।
भालू ने रॉबी को डरने के लिए नहीं कहा। उसने रॉबी को बताया कि वह उसे घर वापस ले जाएगा। भालू रॉबी को अपने साथ ले गया और उसे जंगल में घुमाने लगा। भालू को जंगल का रास्ता अच्छी तरह से पता था।
थोड़ी देर बाद, भालू रॉबी को उसके घर के पास ले आया। रॉबी बहुत खुश था। उसने भालू को धन्यवाद दिया और उसे गले लगाया। रॉबी ने भालू से वादा किया कि वह अब कभी भी बिना बताए जंगल में नहीं जाएगा।
नैतिक शिक्षा: हमें हमेशा अपने बड़ों की बात माननी चाहिए और बिना बताए कहीं नहीं जाना चाहिए।
सोने का अंडा
एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसके पास कुछ मुर्गियाँ थीं जो उसे हर दिन अंडे देती थीं। एक दिन, जब किसान मुर्गियों के बाड़े में गया, तो उसे एक अद्भुत दृश्य दिखाई दिया। एक मुर्गी ने सोने का अंडा दिया था!
किसान बहुत खुश हुआ। उसने सोने का अंडा उठाया और उसे अपने घर में रख दिया। अगले दिन, मुर्गी ने फिर से सोने का अंडा दिया। यह कई दिनों तक चलता रहा। किसान और उसकी पत्नी बहुत अमीर बन गए।
लालच के कारण, किसान सोचने लगा कि अगर वह मुर्गी के पेट में मौजूद सभी अंडे एक साथ निकाल ले, तो वह और भी जल्दी अमीर बन जाएगा। उसने मुर्गी को मार डाला और उसके पेट को चीर दिया। लेकिन उसे अंदर कोई अंडा नहीं मिला।
किसान को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को मारकर बहुत बड़ी गलती कर दी थी। अब उसके पास न तो सोने का अंडा देने वाली मुर्गी थी और न ही कोई अंडे।
नैतिक शिक्षा: लालच बुरी बला है। हमें जो है, उसी में संतोष करना चाहिए।
बगुला भगत
एक घने जंगल में एक बगुला रहता था। वह बहुत आलसी था और उसे काम करने से नफरत थी। वह हमेशा आसान तरीके से भोजन प्राप्त करने की कोशिश करता था।
एक दिन, बगुला नदी के किनारे खड़ा था और सोच रहा था कि बिना मेहनत किए भोजन कैसे प्राप्त किया जाए। तभी उसे एक कछुआ दिखाई दिया। कछुआ नदी के किनारे धीरे-धीरे चल रहा था।
बगुले ने कछुए को देखा और एक योजना बनाई। उसने कछुए से कहा, “भाई कछुआ, मैं तुम्हें एक नदी के दूसरी तरफ ले जा सकता हूँ। वहाँ तुम्हें बहुत सारा स्वादिष्ट भोजन मिलेगा।”
कछुआ बगुले के झांसे में आ गया। वह बगुले की पीठ पर बैठ गया। बगुला उड़ने लगा और कछुए को नदी के दूसरी तरफ ले गया।
जब वे नदी के दूसरी तरफ पहुंचे, तो बगुले ने कछुए से कहा, “भाई कछुआ, यहाँ बहुत सारा भोजन है। तुम खाओ और आनंद लो।”
कछुआ भोजन की तलाश में इधर-उधर देखने लगा। तभी उसे एक शेर दिखाई दिया। शेर ने कछुए को देखा और उस पर हमला करने के लिए दौड़ा।
कछुआ डर गया और बगुले से मदद के लिए रोने लगा। बगुले ने कहा, “भाई कछुआ, चिंता मत करो। मैं तुम्हें बचा लूंगा।”
बगुले ने कछुए को अपनी चोंच में उठाया और उड़ने लगा। शेर बगुले का पीछा करने लगा, लेकिन बगुला शेर से तेजी से उड़ रहा था।
बगुला कछुए को एक सुरक्षित स्थान पर ले गया। कछुआ बगुले से बहुत खुश हुआ और उसे धन्यवाद दिया।
नैतिक शिक्षा: हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए।
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