एक बार की बात है, एक गाँव में एक बूढ़ा गधा रहता था। वह गाँव के एक किसान का था और कई सालों से कड़ी मेहनत कर रहा था। वह चक्की चलाता था, खेत जोतता था, और भारी सामान ढोता था। लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था और कमजोर हो गया था, इसलिए वह पहले की तरह काम नहीं कर पाता था।
किसान बहुत गुस्से में था। उसने सोचा कि बूढ़ा गधा अब बेकार हो गया है। उसने फैसला किया कि उससे छुटकारा पा लेगा। एक दिन, उसने गधे को ले जाकर एक गहरे कुएं के पास खड़ा कर दिया। उसने सोचा कि गधा कुएं में गिर जाएगा और मर जाएगा।
लेकिन बूढ़ा गधा बहुत समझदार था। उसने कुएं में झाँका और देखा कि पानी बहुत नीचे है। उसने जोर से हाय-हाय करना शुरू कर दिया, मानो वह गिरने वाला था।
एक लोहार पास से जा रहा था। उसने गधे की आवाज सुनी और यह देखने के लिए रुक गया कि क्या हुआ है। उसने किसान को गधे को कुएं में धकेलते हुए देखा। लोहार को लगा कि किसान बहुत क्रूर है। उसने किसान को रोका और उससे पूछा कि वह क्या कर रहा है।
किसान ने कहा, “यह गधा अब बेकार हो गया है। मैं इससे छुटकारा पा रहा हूँ।”
लोहार ने कहा, “लेकिन उसे मारना गलत है। वह अभी भी कुछ काम आ सकता है।”
किसान ने कहा, “तुम उसे ले लो अगर तुम चाहते हो।”
लोहार ने गधे को रस्सी से बाहर निकाला। गधा लोहार के लिए काम करने लगा। वह लोहे को गर्म करने के लिए धौंकनी चलाता था। लोहार गधे से बहुत खुश था क्योंकि वह मेहनती और समझदार था।
कुछ दिनों बाद, किसान को पछतावा हुआ कि उसने गधे को बेच दिया है। वह लोहार के पास गया और गधे को वापस खरीदना चाहता था। लेकिन लोहार ने गधे को वापस देने से इनकार कर दिया। उसने कहा, “तुमने उसे बेच दिया था, अब वह मेरा है।”
किसान ने बहुत ज़्यादा पैसे देने की पेशकश की, लेकिन लोहार नहीं माना। अंत में, किसान को समझ गया कि उसने गलती की थी। उसने लोहार से माफी मांगी और कहा कि वह गधे की अच्छी तरह से देखभाल करेगा।
लोहार ने किसान को माफ कर दिया और गधे को वापस कर दिया। किसान ने गधे से प्यार से पेश आया और उसकी अच्छी तरह से देखभाल की। उसने कभी भी उसे बेचने के बारे में नहीं सोचा।
नीति:
- किसी को भी बेकार मत समझो। हर किसी में कोई न कोई खूबी होती है।
- दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करो। जैसा करोगे, वैसा ही भोगोगे।
- अपनी गलतियों से सीखो और उन्हें सुधारने की कोशिश करो।
Read More…