एक बार की बात है, एक छोटा सा गांव था। उस गांव में एक छोटा लड़का रहता था जिसका नाम राज था। राज बहुत ही डरपोक था। उसे भूतों से बहुत डर लगता था।
एक दिन, राज अपने घर से बाहर खेल रहा था। उसने देखा कि एक पुराना घर है। वह घर बहुत ही खंडहर में पड़ा था। राज ने कभी उस घर के बारे में नहीं सुना था। उसे उस घर में बहुत कौतुहल हुआ। वह उस घर के अंदर जाने की सोचने लगा।
राज उस घर के अंदर गया। घर के अंदर बहुत अंधेरा था। राज को कुछ नहीं दिख रहा था। वह धीरे-धीरे घर के अंदर चलने लगा।
राज ने देखा कि घर के एक कोने में एक दर्पण पड़ा है। दर्पण बहुत ही पुराना था। उस पर धूल जमी हुई थी। राज ने दर्पण को साफ किया।
राज ने दर्पण में देखा तो उसे एक भूत दिखाई दिया। भूत राज को देखकर मुस्कुराया। राज बहुत डर गया। वह दर्पण से दूर भागने लगा।
राज दौड़ते-दौड़ते घर से बाहर निकला। वह बहुत डर गया था। वह घर के पास बैठ गया। वह भूत के बारे में सोचने लगा।
राज ने सोचा कि भूत क्यों मुस्कुराया था। क्या भूत उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता था?
राज ने हिम्मत करके फिर से उस घर के अंदर जाने का फैसला किया। वह उस घर के अंदर गया और दर्पण के सामने खड़ा हो गया।
राज ने भूत से कहा, “तुम कौन हो?”
भूत ने कहा, “मैं तुम्हारी दादी हूं।”
राज को बहुत खुशी हुई। उसने अपनी दादी को गले लगा लिया।
राज की दादी ने कहा, “मैं बहुत पहले मर गई थी। लेकिन मैं तुम्हारी देखभाल करने के लिए हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी।”
राज और उसकी दादी बहुत खुश थे। वे दोनों एक साथ खेलने लगे।
राज अब भूतों से नहीं डरता था। उसे पता था कि भूत भी अच्छे हो सकते हैं।
अंत
Moral of the story:
भूत हमेशा बुरे नहीं होते हैं। कुछ भूत अच्छे भी होते हैं।