एक समय की बात है, एक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। वह जहाजों में माल लदवाकर दूसरे देशों में भेजा करता था। वह जिस प्रकार अधिक धन कमाता था उसी प्रकार जी खोलकर दान भी करता था। परंतु उसकी पत्नी अत्यंत कंजूस थी। वह किसी को एक दमड़ी भी नहीं देने देती थी।
एक दिन व्यापारी को व्यापार के सिलसिले में एक दूर के देश जाना पड़ा। वह अपनी पत्नी को छोड़कर चला गया। व्यापारी के जाते ही उसकी पत्नी ने अपना सारा धन इकट्ठा कर लिया और उसे अपने घर में छिपा दिया। फिर वह अपने मायके चली गई।
कुछ दिनों बाद व्यापारी वापस आया। वह घर आया तो देखा कि उसकी पत्नी नहीं है। उसने घर में सारा सामान देखा तो उसे पता चला कि उसकी पत्नी ने सारा धन छिपा लिया है। वह बहुत दुखी हुआ।
उसने अपनी पत्नी को ढूंढने के लिए जगह-जगह पता किया, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। वह बहुत परेशान हो गया।
एक दिन वह गुरुवार के दिन एक मंदिर में गया। उसने भगवान बृहस्पति से प्रार्थना की कि हे भगवान, मेरी पत्नी को मुझे मिल जाए और मेरा धन भी वापस मिल जाए।
भगवान बृहस्पति ने उसकी प्रार्थना सुन ली। उन्होंने एक साधु का रूप धारण किया और व्यापारी के पास आए। साधु ने व्यापारी से कहा, “हे पुत्र, तुम्हारी पत्नी कहां है?”
व्यापारी ने बताया कि उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई है और उसने सारा धन भी छिपा लिया है।
साधु ने व्यापारी से कहा, “तुम इस गुरुवार को व्रत रखो और भगवान बृहस्पति की पूजा करो। तुम्हारी पत्नी वापस मिल जाएगी और तुम्हारा धन भी वापस मिल जाएगा।”
व्यापारी ने साधु की बात मान ली और उसने गुरुवार को व्रत रखा और भगवान बृहस्पति की पूजा की।
व्रत के प्रभाव से व्यापारी की पत्नी वापस आ गई। उसने अपनी गलती मान ली और व्यापारी से माफी मांगी।
व्यापारी ने अपनी पत्नी को माफ कर दिया। फिर उन्होंने मिलकर भगवान बृहस्पति की पूजा की।
भगवान बृहस्पति ने व्यापारी के धन को भी वापस कर दिया।
व्यापारी और उसकी पत्नी बहुत खुश हुए। उन्होंने भगवान बृहस्पति की कृपा से धन-धान्य और सुख-समृद्धि प्राप्त की।
कथा का सार
इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भगवान बृहस्पति की कृपा से सभी मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। इसलिए हमें भगवान बृहस्पति की पूजा और व्रत अवश्य करना चाहिए।
गुरुवार व्रत विधि
गुरुवार व्रत करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर भगवान बृहस्पति का ध्यान करें और उन्हें प्रणाम करें।
उसके बाद भगवान बृहस्पति की पूजा करें। पूजा में पीले फूल, पीला नैवेद्य और पीला वस्त्र अर्पित करें।
पूजा के बाद भगवान बृहस्पति की कथा सुनें या पढ़ें।
व्रत के दिन केवल सात्विक भोजन करें।
व्रत के दिन दान करना भी शुभ माना जाता है।
गुरुवार व्रत करने से भगवान बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है। इससे धन, विद्या, बुद्धि, संतान, वैवाहिक सुख और सभी मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
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