एक समय की बात है, एक गाँव में एक बुढ़िया रहती थी। उसके पास एक अनमोल कुत्ता था, जिसका नाम था रमू। रमू बहुत ही विशाल दिल का था और उसकी सेवा करने की आदत बुढ़िया को बहुत पसंद थी।
एक दिन, बुढ़िया ने सोचा कि अब वह बहुत बूढ़ी हो गई है और उसे रमू के बिना जीना होगा। इसलिए उसने रमू को एक पहाड़ पर छोड़ दिया और उसे घर वापस नहीं बुलाया।
रमू ने दिन रात वहीं पहाड़ पर रहकर बुढ़िया की याद में गुजार दी। वह बहुत दुखी था, पर उसने अपनी सभी दुःख-सुख समझ ली।
कुछ समय बाद, एक दिन बुढ़िया गिरजाघर में गई। वहां उसने देखा कि एक शिला गिर गया है और एक छिलका निकल आया है, जिससे बहुत दर्द हो रहा था।
बुढ़िया ने उसे ध्यान से देखा और समझा कि छिलका निकलने में शिला को बहुत दर्द हुआ होगा। वह उसे धीरे-धीरे बाहर खींचती रही और अंत में छिलका निकाल दिया।
शिला बहुत आभारी था उस बुढ़िया का, जिसने उसके दर्द को कम किया और उसे राहत दी।
बुढ़िया ने इस घटना से सीखा कि हर किसी की मदद करना महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि हमारी मदद से किसी का दर्द कम हो सकता है और हमें खुशियां मिल सकती हैं।
बुढ़िया ने उस दिन से नए दृष्टिकोण से जीने का निर्णय किया। वह अब हर जगह मदद करने की कोशिश करती थी।
एक दिन, बुढ़िया को बड़े गाँव में जाना पड़ा। रास्ते में वह एक गहरी खाई देखी, जिसमें एक बिच्छू फंसा था। बुढ़िया ने बिना सोचे समझे अपनी चादर फैलाकर बिच्छू को उठाने की कोशिश की, लेकिन बिच्छू ने उसे काट दिया।
बुढ़िया ने हार नहीं मानी। वह एक छड़ी लेकर फिर से कोशिश की, लेकिन बिच्छू ने फिर उसे काट दिया। फिर उसने एक बड़ी लकड़ी को उठाकर बिच्छू को धीरे-धीरे खोखले स्थान पर धकेल दिया। बिच्छू खुश होकर बिना काटे बाहर निकल गया।
बुढ़िया ने समझा कि जिंदगी में कभी-कभी हमें अलग तरीकों से समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हार मानने की बजाय, हमें नये तरीकों से समाधान ढूंढना चाहिए।
इस घटना ने बुढ़िया को यह सिखाया कि सच्ची सेवा वही होती है जब हम अपने आपको खो देने का खतरा भी उठाते हैं और समस्याओं का सामना करते हैं।