एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लकड़बग्घा परिवार रहता था. उनका नाम था लल्लू, लल्ली और उनके नन्हे शावक रिंकी. लल्लू और लल्ली बड़े ही शांत और मिलनसार लकड़बग्घे थे. वे गाँववालों को कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे, बल्कि रात में घूमते हुए कभी-कभी उन्हें जंगल के खतरों से भी बचा लेते थे.
रिंकी छोटी थी, लेकिन बहुत ही जिज्ञासु थी. उसे जंगल के बारे में हर चीज जानने की तीव्र इच्छा थी. एक दिन, वह अपनी माँ से पूछने लगी, “माँ, जंगल के सबसे भयानक जीव कौन हैं? उनकी कहानियाँ सुनकर ही मैं डर जाती हूँ!”
लल्ली ने प्यार से उसकी तरफ देखा और कहा, “रिंकी, जंगल में हर प्राणी का अपना महत्व होता है. किसी को भी छोटा या बड़ा मत समझो. हर किसी की अपनी ताकत और कमजोरियाँ होती हैं. सच्चा खतरा उनसे नहीं होता, जो दिखने में डरावने लगते हैं, बल्कि उनसे होता है, जो अंदर से बुरे होते हैं.”
रिंकी को अपनी माँ की बात समझ नहीं आई. वह सोचती रही कि आखिरकार कौन हो सकते हैं वे सच्चे खतरनाक जीव? कुछ दिनों बाद, गाँववालों के बीच एक अफवाह फैल गई कि जंगल में एक खूंखार शेरनी रहती है, जिसने कई जानवरों को अपना शिकार बना लिया है. गाँव के लोग डर से घरों में कैद हो गए.
रिंकी भी इस बात से बहुत घबरा गई. उसने अपनी माँ से पूछा, “माँ, क्या शेरनी ही जंगल का सबसे बड़ा खतरा है?”
लल्लू ने धीरे से कहा, “रिंकी, शेरनी भले ही शक्तिशाली हो, लेकिन वह सिर्फ अपने बच्चों को खिलाने के लिए शिकार करती है. उसका काम ही यही है. असली खतरा उन मनुष्यों से है, जो जंगल को नुकसान पहुंचाते हैं, पेड़ों को काटते हैं और जानवरों का शिकार करते हैं. वे ही जंगल के असली दुश्मन हैं.”
रिंकी को अपनी माँ की बातें समझ में आने लगीं. उसने महसूस किया कि दिखने में खतरनाक कोई भी प्राणी उतना नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जितना मनुष्य जंगल को पहुंचा रहे हैं. उसने गाँव के बच्चों को इकट्ठा किया और उनसे जंगल को बचाने का वादा लिया. उन्होंने पेड़ लगाने, कचरा न फैलाने और जानवरों की रक्षा करने की कसम खाई.
इस तरह, रिंकी और उसके दोस्तों ने मिलकर जंगल को बचाने का काम शुरू किया. उन्होंने गाँववालों को भी समझाया कि जंगल का नुकसान करना ही असली खतरा है. धीरे-धीरे, गाँववालों का जंगल के प्रति नज़रिया बदलने लगा. वे पेड़ लगाने लगे, कचरा साफ करने लगे और जानवरों को परेशान करना बंद कर दिया.
कुछ समय बाद, शेरनी जंगल छोड़कर चली गई. गाँव में फिर से शांति छा गई. रिंकी और उसके दोस्तों ने जो साहस दिखाया और जिस समझदारी से उन्होंने काम किया, उससे उन्हें गाँव का हीरो माना जाने लगा. उन्हें पता था कि असली खतरों से लड़ने के लिए ताकत की जरूरत नहीं, बल्कि समझदारी और जागरूकता की जरूरत होती है.
तो बच्चों, यही कहानी हमें सिखाती है कि दिखने में डरावने कोई भी प्राणी असली खतरा नहीं होते. असली खतरा उन चीजों से होता है, जो अंदर से खराब होती हैं. इसलिए, हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए और सही और गलत में फर्क करना चाहिए. तभी हम अपने आसपास की दुनिया को खूबसूरत और सुरक्षित बना सकते हैं.
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