एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बच्चा राजू रहता था। राजू बहुत ही निर्भीक और खुशमिजाज बच्चा था। एक दिन, राजू अपने दादा-दादी के साथ गाँव के पास बसे जंगल में घूमने गया।
जंगल में घूमते हुए, राजू ने एक बड़े से पेड़ के नीचे एक पुराने मंदिर को देखा। मंदिर के दरवाजे पर लिखा हुआ था, “भूतिया मंदिर – सावधान!” लेकिन राजू ने उस चेतावनी को नजरअंदाज किया और मंदिर के अंदर चला गया।
मंदिर के अंदर एक छोटी सी पुरानी बुक मिली, जिसमें भूतों की कहानियां लिखी थीं। राजू ने बुक पढ़ते हुए बहुत ही रोचक कहानियां सुनीं, लेकिन वह ध्यान से नहीं पढ़ पाया कि मंदिर में कुछ गड़बड़ हो रहा है।
धीरे-धीरे, रात के समय, वह अचानक एक अजीब सी आवाज सुना। वह आवाज से मंदिर की ओर बढ़ा और देखा कि एक पुराना भूत वहां बैठा हुआ था। भूत ने राजू को देखा और हैरानी से बोला, “तुम यहां कैसे आए हो?”
राजू ने डरकर नहीं, बल्कि मित्रता भरे दिल से भूत से बात की। उसने भूत से सुनी गई कहानियों का समर्थन किया और उसे बताया कि दोनों मित्र बन सकते हैं।
भूत ने राजू की साहस और मित्रता को देखकर खुश होकर उससे दोस्ती कर ली। उन दोनों ने मिलकर जंगल में बहुत मस्ती की और एक-दूसरे के साथ नए-नए खेल खेले।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी हमें डरना नहीं चाहिए और दूसरों के साथ मित्रता करनी चाहिए। चीजें अक्सर उससे भी अधिक रोचक और अद्भुत हो सकती हैं जो हम अपनी नजरों से नहीं देख पा रहे होते।
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