एक बार की बात है, एक गरीब किसान था जिसका नाम रामू था। वह बहुत मेहनती था और अपना पेट भरने के लिए कड़ी मेहनत करता था। उसके पास एक छोटा सा खेत था जिसमें वह अनाज उगाता था। वह अपने खेत में काम करने के लिए सुबह जल्दी उठता था और शाम को देर तक काम करता था।
एक दिन, रामू अपने खेत में काम कर रहा था जब उसे एक छोटा सा बच्चा रोते हुए मिला। रामू ने बच्चे को उठाया और उसे अपने घर ले गया। बच्चे का नाम सोहन था और वह बहुत भूखा था। रामू ने सोहन को कुछ खाना दिया और उसे अपने साथ सोने के लिए ले गया।
सोहन बहुत प्यारा बच्चा था और रामू उसे बहुत पसंद आया। उसने सोहन को अपना बेटा मान लिया और उसे अपने साथ पालने का फैसला किया। रामू ने सोहन को पढ़ना-लिखना सिखाया और उसे एक अच्छा इंसान बनाया।
सोहन बड़ा होकर एक अच्छा इंसान बना। वह एक मेहनती और ईमानदार आदमी था। उसने रामू के साथ खेती करना सीखा और वह एक सफल किसान बन गया।
एक दिन, सोहन की शादी एक सुंदर लड़की से हुई। सोहन और उसकी पत्नी बहुत खुश थे। उन्होंने एक-दूसरे से बहुत प्यार किया।
एक दिन, रामू की मृत्यु हो गई। सोहन बहुत दुखी हुआ। उसने रामू को बहुत याद किया। उसने रामू की याद में एक मंदिर बनवाया।
सोहन ने रामू को अपने जीवन में दिए गए प्यार और समर्थन के लिए हमेशा आभारी रहा। उसने हमेशा रामू को अपना आदर्श माना।
कई साल बीत गए और सोहन एक बढ़िया नौजवान बन गया। वह अपने दत्तक पिता रामू की तरह लंबा और मजबूत था। वह एक दयालु और दयालु व्यक्ति भी था, जो हमेशा जरूरतमंदों की मदद करने के लिए तैयार रहता था।
एक दिन, सोहन गाँव में घूम रहा था जब उसने एक छोटे से, कमजोर लड़के को एक समूह के बच्चों द्वारा परेशान करते हुए देखा। सोहन ने हस्तक्षेप किया और बच्चों को लड़के को अकेला छोड़ने के लिए कहा। बच्चे, जो डर से कांप रहे थे, सोहन को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दिया। सोहन मुस्कुराया और उससे कहा कि उसे चिंता न हो, वह हमेशा उसकी रक्षा करेगा।
उसी दिन से, सोहन गाँव के बच्चों का रक्षक बन गया। वह हमेशा उनका बचाव करने और मुश्किल में पड़ने पर उनकी मदद करने के लिए तैयार था।
सोहन की दयालुता की खबर पूरे गाँव में फैल गई, और जल्द ही सभी उसे “बच्चों का संरक्षक” के रूप में जान गए।
एक दिन, एक गिरोह डाकुओं ने गाँव में आकर ग्रामीणों को लूटने और उनकी कीमती चीजें चुराने की योजना बनाई। उन्होंने सोहन के बारे में सुना था और सोचा था कि वह उनसे मुकाबला नहीं कर पाएगा।
हालांकि, सोहन उनके लिए तैयार था। उसने रामू के उपदेशों को अपनाने के बाद के वर्षों में कड़ी मेहनत की थी, और अब वह एक कुशल योद्धा था।
जब डाकू गाँव में पहुंचे, तो सोहन ने उनका सामना किया। उसने उनसे कहा कि अगर वे ग्रामीणों को लूटना चाहते हैं, तो उन्हें पहले उससे गुजरना होगा।
डाकुओं को इस तरह की चुनौती की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने सोचा था कि सोहन सिर्फ एक लड़का है, लेकिन वे जल्द ही समझ गए कि वे गलत थे। सोहन एक शक्तिशाली योद्धा था, और उसने उन्हें एक-एक करके जल्दी से हरा दिया।
ग्रामीणों ने सोहन को डाकुओं को गाँव से बाहर निकालने के लिए जयकार दी। वे उनकी वीरता और सुरक्षा के लिए आभारी थे।
उस दिन से, सोहन को “गाँव का नायक” कहा जाता था। वह एक किंवदंती थी, और उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुनाई जाती थी।
और सोहन, अपने दत्तक पिता रामू की दयालुता और उदारता को कभी नहीं भूलते हुए, अपने सिद्धांतों के आधार पर अपना जीवन जीते थे। उन्होंने दूसरों की मदद करना जारी रखा, हमेशा दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए प्रयास करते हुए।
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